तब भी यह लकड़ियां ही
यह लकड़ी का दरवाजा है
यह लकड़ी की खिड़की
यह लकड़ी की कुर्सी है
यह लकड़ी का पलंग
यह घर सुशोभित है
लकड़ी से बने साजो सामान
से
जब यह जीवन खत्म होगा
और इस घर से
बाहर निकलेगा
तब भी यह लकड़ियां ही
सजायेंगी
मेरी मृत्यु शय्या
मेरा आखिरी बिस्तर
मेरी अंतिम सेज।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001