तब भी थी,आज भी है.
इसलिये कम बोलता हूँ
कि कोई अर्थ न निकाल ले,
कोई समझ न लें,
देश में वाचाल निखट्टू लोगों को प्रोत्साहन मिल रहा है.
विरोध को लगाम, लगाने के सब हथकंडे आजाद है.
न तुम्हें कमाई में आजादी हैं
कमाकर खाने पर रोक है.
हाँ,,,,खा रहे हैं,
कसाई का माल,
कटडे.
ये जरा सा भिन्न है.
आजाद भी लड़ रहे हो.
गुलाम भी लडते थे,
संविधान लोकतंत्र में ग्रंथ है,
शपथ भी लेते हो.
बदले में क्या देते हो.
फिर तब में और अब में
अछूता क्या है.
रोटियां छीनने की नौबत,
रोटियां सेंकने की बाबत.
तब भी थी, आज भी है.
अधिकार तक अनभिज्ञ.
कर्तव्य कैसे निभाओगे.
अपने हित अहित की रक्षा,
किस तरहा कर पावोगे.