**** तबस्सुम ***
तबस्सुम
कब तलक
नजरों से मेरी
दूर रह पाओगी
कब तलक
निगाहों से आँखें
चुराओगी
कब तलक
ओंठो से मेरे
दूर रह
पाओगी
तबस्सुम
कब तलक
मुझसे दूर
रह पाओगी ।।
बेकार में
शक किया
मुझ पे
यूं बर्बाद
किया मुझको
ये शुबहा
ये शक
तुम्हारा
जिसने
तल्ख़
किया मुझको
अब
जिया ना जीया
बस तुझसे
प्यार किया
बस
सबसे बडा
गुनाह किया
हमने
फिर भी
कब तलक
मुझसे
दूर रह
पाओगी
तुम
मेरी
तबस्सुम ।।
?मधुप बैरागी