तपते सूरज से यारी है,
तपते सूरज से यारी है,
वर्षा भी लगती प्यारी है।
जाड़ा में बाहर जाता हूँ,
हर मौसम को मैं भाता हूँ।
घर आटा चावल लाना है
तो सिर पर भार उठाना है।
ईटा गारा सीमेंट रेत
ढोकर छत पर ले जाना है।
संसाधन से बहुत दूर हैं ये,
मजबूर बहुत मजदूर हैं ये।
(श्रमिक दिवस विशेष)
01/05/2023)