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5 Aug 2022 · 1 min read

बरसो घन घनघोर, प्रीत को दे तू भीगन

भीगन दो बरसात में, तन-मन होये शुद्ध
निर्मल होये रूह भी, शरीर बने प्रबुद्ध

शरीर बने प्रबुद्ध, खुले ज्ञान चक्षु उनके
भीगे तन में आग, लगी हो मित्रो जिनके

महावीर कविराय, सुहाए प्रेमी जीवन
बरसो घन घनघोर, प्रीत को दे तू भीगन

•••

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