तन्हाईयाँ
तन्हाईयाँ भी बातें करती है ,
छुपे – दबे जज्ब़ातों को बाहर लाती है ,
ज़ेहन में छाए बादलों को छांटकर हक़ीक़त की ज़मीन पर लातीं हैं ,
सच्चाई और फ़रेब के फ़र्क का इल्म़ करातीं हैं ,
खुली आंख के अंधेरों से निकालकर,
एक नई रोशनी की ओर ले जाती है।