ढेला या देवताओं
लोग भक्ति भक्ति करते हैं.
फिर भी,
शक्ति-प्रदर्शन *लोगों से करते हैं.
लोगों को मनोबल एक *ढेले से मिलता है,
घर के बुजुर्ग को ही *ढेला समझ लो.
कुछ तो बड़बड़ाते हैं.
मंत्र मान लो, उसे ही.
फल,फूल,दूध,चंदन का तिलक.
फिर भी *गोल पत्थर पर लगता है.
मुझे शिकवे नहीं, कि लोग क्या करते हैं
तख्लुअफ़ तब होती है,तुम कहती हो.।।
ठहरो जरा…
मेरे *देवता भूखे हैं…..
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस