Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2023 · 1 min read

ढंका हुआ झूठ

ढंका हुआ झूठ
अक़्सर अनावृत सच से
बेहतर होता है।।

😔प्रणय प्रभात😔

1 Like · 154 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आत्महत्या करके मरने से अच्छा है कुछ प्राप्त करके मरो यदि कुछ
आत्महत्या करके मरने से अच्छा है कुछ प्राप्त करके मरो यदि कुछ
Rj Anand Prajapati
#आधार
#आधार
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
sp, 136 मैं माइक का लाल
sp, 136 मैं माइक का लाल
Manoj Shrivastava
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
“हम अब मूंक और बधिर बनते जा रहे हैं”
DrLakshman Jha Parimal
#घर की तख्ती#
#घर की तख्ती#
Madhavi Srivastava
#तुम्हारा अभागा
#तुम्हारा अभागा
Amulyaa Ratan
कभी पथभ्रमित न हो,पथर्भिष्टी को देखकर।
कभी पथभ्रमित न हो,पथर्भिष्टी को देखकर।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Believe in yourself because you have the power
Believe in yourself because you have the power
पूर्वार्थ
चाँद और इन्सान
चाँद और इन्सान
Kanchan Khanna
#गीत-
#गीत-
*प्रणय*
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
*झूठा यह संसार समूचा, झूठी है सब माया (वैराग्य गीत)*
*झूठा यह संसार समूचा, झूठी है सब माया (वैराग्य गीत)*
Ravi Prakash
प्यार सजदा है खूब करिए जी।
प्यार सजदा है खूब करिए जी।
सत्य कुमार प्रेमी
गिरगिट सी दुनिया
गिरगिट सी दुनिया
Sonu sugandh
संगीत
संगीत
Rambali Mishra
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
कर्मनाशी
कर्मनाशी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
बचपन
बचपन
Vedha Singh
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3518.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
संवेदना(फूल)
संवेदना(फूल)
Dr. Vaishali Verma
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
सबकुछ झूठा दिखते जग में,
Dr.Pratibha Prakash
अंजाम ....
अंजाम ....
sushil sarna
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
Sonam Puneet Dubey
क्यो तू रोता इस नश्वर संसार में ..
क्यो तू रोता इस नश्वर संसार में ..
Buddha Prakash
यूं तो लाखों बहाने हैं तुझसे दूर जाने के,
यूं तो लाखों बहाने हैं तुझसे दूर जाने के,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कुछ तो नहीं था
कुछ तो नहीं था
Kaviraag
समय
समय
Arun Prasad
आवाज दिल की
आवाज दिल की
Diwakar Mahto
Loading...