Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jan 2019 · 2 min read

“डायरी पुरानी”

कैसै बताऊं राते थी वो कितनी सुहानी ,
हम होते थे कमरे मे और ,
तक कर चली जाती थीं वो चांद-चांदनी ।
हाथ में कलम और मेज पुरानी ,
जस्बात उमड़े , हुई खींचातानी ,
सुलझा कर मसला , लिख दी मेरी कहानी ,
वो कहती कुछ नहीं मगर ,
मेरी जुबां बन गयी है वो ” डायरी पुरानी ” ।

खयालो में आ गयी जब ख्वाबों की रानी ,
थम गयी कलम लेकिन ,
पेज थे अभी और खाली ।
करना था जिससे बात जुबानी ,
मुलाकात हो रही थी उनसे रुहानी ,
हर लम्हे मे बुनती चली गई जो मेरी शायरी,
वो करती कुछ नहीं मगर ,
मुझे संवार देती हैं वो ” डायरी पुरानी ” ।

विचारों पर जब एहसास हुए भारी ,
प्रेरणा उसे मानकर ,
मैंने किताबें लिख डाली ।
इंतजार है आएगी वो शाम सुहानी ,
मोहब्बत ऐसी होगी न होगा कोई सानी ,
बहती आंखों का सोख लिया जिसने पानी ,
वो रोती नही मेरे साथ मगर ,
हमदर्द सी बन गयी है वो ” डायरी पुरानी ” ।

समझ सके जो मेरे सवालों को ,
ढूंढता हूं हर चेहरे में वो ज्ञानी ।
कभी साथ होती हैं बीति बातें या ,
कभी होती है दुनिया खयाली
गिरते , संभलते , चलते , रूकते ,
ना जाने क्या मोड़ लेगी जिंदगानी
गुनाहों को मेरे खुद समेट लेती ,
पाठ खुद का पुरा कर ,
नये रास्ते दिखा देती वो ” डायरी पुरानी ” ।

थाम कर जिनकी उंगली
देखी मैंने दुनियादारी ,
मिलते कहां है दुनिया में ?
मां-बाप के जैसे हमसाथी ,
वो कागज की कश्ती और दोस्तों की यारी ,
किस्सों से भरे दादा-दादी ,
याद है वो बेफिक्री की खुमारी ,
वो खुद चलती नहीं मगर ,
मुझे बचपन से मिला देती हैं वो “डायरी पुरानी” ।

Language: Hindi
277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
अपने-अपने चक्कर में,
अपने-अपने चक्कर में,
Dr. Man Mohan Krishna
मेरे जाने की फ़िक्र
मेरे जाने की फ़िक्र
Sudhir srivastava
सब के सब
सब के सब
Dr fauzia Naseem shad
हास्य गीत
हास्य गीत
*प्रणय*
जय श्री महाकाल
जय श्री महाकाल
Neeraj kumar Soni
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नारी और वृक्ष
नारी और वृक्ष
ओनिका सेतिया 'अनु '
4181💐 *पूर्णिका* 💐
4181💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गीता जयंती
गीता जयंती
Satish Srijan
मैं जाटव हूं और अपने समाज और जाटवो का समर्थक हूं किसी अन्य स
मैं जाटव हूं और अपने समाज और जाटवो का समर्थक हूं किसी अन्य स
शेखर सिंह
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
एक हद मुकर्रर करो
एक हद मुकर्रर करो
Minal Aggarwal
12. Dehumanised Beings
12. Dehumanised Beings
Ahtesham Ahmad
दीवारें चाहे जितनी बना लो घरों में या दिलों में
दीवारें चाहे जितनी बना लो घरों में या दिलों में
Dr. Mohit Gupta
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
तुम जो मिले तो
तुम जो मिले तो
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
सहारा
सहारा
Neeraj Agarwal
*रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)*
*रोग से ज्यादा दवा, अब कर रही नुकसान है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"इच्छाशक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
ग़ज़ल- ये नहीं पूछना क्या करे शायरी
आकाश महेशपुरी
जुगनूओं से कह दो, रात बड़ी बामशक्कत गुजरेगी,
जुगनूओं से कह दो, रात बड़ी बामशक्कत गुजरेगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
✒️कलम की अभिलाषा✒️
✒️कलम की अभिलाषा✒️
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ
आप केवल सही या केवल गलत नहीं होते हैं. अक्सर आप दोनों एक साथ
पूर्वार्थ
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
होली
होली
Meera Singh
स्मार्ट फ़ोन
स्मार्ट फ़ोन
अरशद रसूल बदायूंनी
Loading...