डमरू घनाक्षरी
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डमरू घनाक्षरी
नद बह कल- कल,
धवल- धवल जल,
बढ़ चल पथ पर,
थम मत बस चल।
असफल कब तक,
कर करम अथक,
थक कर मत रह,
मर मत पल-पल।
चमक कनक सम,
रख मन दम-खम,
गढ़ अब नव पथ,
तम सब कर हल।
हृदय मनन कर,
छल सब तज कर,
गद-गद रह कर,
कर वचन अमल।
सीमा शर्मा ‘अंशु’