डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
पनघट पर घट भर भर कर सब
धर कर सर पर चलत डगर पर
इधर उधर तक जतन करत सब
पर असफल जब धमकत नटखट
मदन मगन वह मनहर दरसन
नजर भरत सब तक टक टक टक
पल भर जब तक सभलत तब तक
खट खट कर घट सब जल छलकत
अन्नपूर्णा गुप्ता ‘ सरगम ‘
🖋️©️®️ 16/07/2024