ठुमके
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
ठुमके
बहुत झूमे हैं और लगाए ठुमके भी अनगिनत सभी लोगों ने इसमें अब कोई अति विस्मय कारी झमेले कहां ।
असल बात तो ये है आधा सत्य जो दिखता है उसकी भी पूरी जानकारी अब कहां।
मैं आपके निर्देश पर आधारित कोई संशय नहीं रखता।
कोई तो होगा प्रमाण लेकिन मैं उस प्रमाण पर कोई झूठा पत्थर भी तो नहीं रखता ।
ये दिल तो महज़ दिल है धड़कना जिसका काम है।
अब इसी कारण कोई किसी से गुज़ारिश नहीं करता ।
बरसने दो कृपा स्वयं से वही सात्विक कहलाती ।
माँग कर यदि पाई वो मात्र दया तो गीत कहलाती ।
ठुमक ठुमक जब नन्द के ग्राम में चले थे कन्हैया शैशव में ।
सकल संसार था डोला साथ और संग में उनके ।
करधनी सरकी थी कमर पर से बीसियों बार लेकिन ।
उतर जाती कमर से वो न हिम्मत हो सकी उसकी इक बार देखो तो।
बहुत झूमे हैं और लगाए ठुमके भी अनगिनत सभी लोगों ने इसमें अब कोई अति विस्मय कारी झमेले कहां ।