” टूटा तारा “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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आप स्वतंत्र हैं
अपने विचारों को
किसी रूप में
लोगों को समझाएँ ,
आपका यह मौलिक
अधिकार है
कहाँ तक इसे ले जाएँ !!
पर बिषाक्त टिप्पणिओं
और मर्मभेदी बाणों
से यदि लोगों को
आहत करेंगे
तो मित्रों में आप
धूमिल सदा बने रहेंगे !!
विचारों को यदि
रखना है तो
कहने का ढंग
अलग होना चाहिए !
आपकी भाषा में
मृदुलता का
आभाष होना चाहिए !!
नहीं तो भाषा का यह रूप
आने वाली पीढियों
को विचलित कर देगा !
भबिष्य में लोग भूल जायेंगे
और आपको
एक नछत्र का
टूटा तारा कहेगा !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत