*”झूठी दुनिया झूठे लोग”*
“झूठे दुनिया झूठे लोग”
झूठी शान रहन सहन ठाठ बाठ, दिखावटी अजीब लोग।
सारे रिश्ते नाते छूटे काम क्रोध लोभ क्षोभ।
सामने तो मीठी बातें करते पीठ पीछे बुराई करते लोग।
झूठी तारीफें कर मुखोटा पहनते लोग।
झूठी दुनिया झूठे लोग….
अपने परायों को पहचाने नहीं जानते है लोग।
बस अपना काम के लिए मतलब साधते हुए लोग।
काम निकल जाने पर मतलबी इंसान भूल जाते लोग।
झूठी दुनिया झूठे लोग…….
झूठी माया झूठी काया ,मोहमाया के जंजाल में फंसे हुए लोग।
दो दिन का रैन बसेरा फिर भी दुश्मनी निकालते हुए लोग।
सेवा भावना समर्पण भाव छोड़, चापलूसी करते हुए लोग।
झूठे दुनिया झूठे लोग……
सच्चाई का दामन छोड़ ,झूठ बोलते हुए लोग।
ऊपर से सच्चे अंदर से कच्चे पग पग झूठ बोलते लोग।
कौन है अपना कौन पराया ,जालसाज रिश्ते नाते झूठे वादे करते लोग।
झूठी दुनिया झूठे लोग……
सच झूठ का पता चले ना ,बीच भंवर में फंस जाते लोग।
क्षणिक झूठ बोल स्वार्थी धन लोभी बातों में उलझाते हुए लोग।
सच्चाई की राह पे चलकर ,राम नाम सुमिरन मिट जाये सारे रोग।
दुनिया के अजीब खेल निराले ,ईमान नही रखते स्वार्थी अजीब से लोग।
झूठी दुनिया झूठे लोग…..
सुख दुःख में हमेशा जो साथी बने वे ही सच्चे अर्थों में अच्छे लोग।
शशिकला व्यास✍️