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27 Sep 2024 · 1 min read

जूठी चाय … (लघु रचना )

जूठी चाय … (लघु रचना )

देख रही थी
सुसंस्कृत सभ्यता
सूखे स्तनों से
अधनंगी संतान को
दूध के लिए
छटपटाते

पिला दी
कागज़ के जूठे कपों की
बची चाय

कर दी क्षुधा शांत
अपने बच्चे की
सुसंस्कृत आवरण में
उबलती
सभ्य झूठ की
मृत संवेदना में लिपटी
पैंदे में बची
जूठी
चाय से

सुशील सरना /

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