झमाझम बरसे रे बदलिया!
झमाझम बरसे रे बदलिया!
बून्द बून्द से अहसास पले,
पेड़ो में नव संचार पले,
खिल उठे सुमन सब बगिया के
झमाझम बरसे रे बदलिया!
हो तृप्त धरा मधुर पान करे,
जग उठे प्रान जीवित सी करे,
लता,पेड़ सब विस्तार करें,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
झूम उठे लताये सुमन खिले,
प्यासी धरती को नव जीवन मिले,
सिंचित हो धरा नव पुष्प खिले,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
महके बगिया हर पात हिले,
जैसे बून्द बरसो बाद मिले,
मंद मंद बयार जो चले,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
हवा में भी खुशबू फैले
शांत धवल चाँदनी फैले,
तो रोम रोम खुशियां फैले,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
उठ जागो खोलो तो पलक,
देखो प्रक्रति की एक झलक,
पुष्प खिले जैसे चमके कनक,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
दुख जाए अपने सभी भूल,
फिर से मुस्काये मूल मूल,
खिल आये हर फूल फूल,
झमाझम बरसे रे बदलिया!
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद
घोषणा:ये मेरी स्वरचित रचना हैं