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23 Feb 2023 · 1 min read

*ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं (गीत)*

ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं (गीत)
————————————————-
ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं
( 1 )
बचपन बीता गई जवानी , अब हो गए बड़े हैं
साठ साल के हुए , बुढ़ापे के ज्यों द्वार खड़े हैं
कितने अच्छे हैं पेड़ों पर, जो भी फूल खिले हैं
( 2 )
यह बूढ़ापन दस्तक देकर, कहता अंत समय है
यह बतलाता हमें सूर्य का, उदय-अस्त सब तय है
पीले पत्ते गिरे हवा से, जब भी पेड़ हिले हैं
( 3 )
एक-एक कर सबको आकर, अपना हुनर दिखाना
रंगमंच से इस दुनिया के, फिर ओझल हो जाना
मिटते जाते सभी रोज, झोपड़ियाँ और किले हैं
ज्यादा से ज्यादा हमको बस, सौ ही साल मिले हैं
———————————————–
रचयिता : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
Tag: गीत
169 Views
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