जो मिला बेवफा मिला हमको
ग़ज़ल
**********
जिन्दगी से दगा मिला हमको
जो था अपना खफ़ा मिला हमको
दोस्त अब तक न मिल सका कोई
जो मिला बेवफ़ा मिला हमको
एक जाता नहीं सुबह हर दिन
ग़म नया फिर तो आ मिला हमको
फेर सच्चाई से —वो —- मुँह लेता
झूठ पर वो —–फिदा मिला हमको
प्यार का जो किया शुरू उसने
ख़त्म वो सिलसिला मिला हमको
जो खड़ा था यकीन के दम पर
गिर रहा वो किला मिला हमको
प्यार ही प्यार था कभी जिसमें
दिल में अब फ़ासला मिला हमको
वस्ल जब भी हुआ हमें उससे
बारहा बस गिला मिला हमको
वो चराग़ आँधिए-तनफ़्फ़ुर में
जो जला था बुझा मिला हमको
खूँने मुफ़लिस से घर अमीरों का
इस जहां में सजा मिला हमको
इस सियासत के दौर में “प्रीतम”
हर बशर तो फँसा मिला हमको
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
21/09/2017
????????????