जो मिलता है यहाँ वो ही जुदा होता है
जो मिलता है यहाँ वो ही जुदा होता है
वो ही होता है जो किस्मत में लिखा होता है
चन्द सिक्कों की ख़नक से न बड़ा होता है
प्यार जब पास नहीं ख़ुद भी ज़रा होता है
जो बुरा काम करो ध्यान रहे सबको ये
हर बुराई का तो अन्जाम बुरा होता है
ये तो आदत न सही रोज़ उसे समझाया
हो न ग़लती भी मगर वो तो ख़फ़ा होता है
सोच सबकी है जुदा काम अलग होते हैं
सबका अन्दाज़ ज़माने में जुदा होता है
जानते सब हैं इसी बात को लेकिन न कहें
है सगा जिसका नहीं उसका ख़ुदा होता है
आबोदाना तो कमाना है फ़क़त रोज़ोशब
दिल भले ही न थके जिस्म थका होता है
नींद करती तो है कुछ जिस्म में हरकत ऐसी
सुब्ह इन्सान उठे तब वो नया होता है
प्यार की ये ही तो ‘आनन्द’ निशानी है ग़ज़ब
दूर बेशक़ वो रहे साथ जुड़ा होता है
– डॉ आनन्द किशोर