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27 Jan 2018 · 1 min read

जो नसीब रूठा हुआ लगे

जो नसीब रूठा हुआ लगे
हमें ज़िन्दगी ही सज़ा लगे

हमें साथ उनका भला लगे
ये जमाने को क्यों बुरा लगे

तेरा प्यार ही मेरे दर्द की
वो दवा लगे जो दुआ लगे

रहे झूमते ही यूँ प्यार में
पिये बिन हुआ है नशा लगे

किसी को भी दर्द दिखे नहीं
ये तो आँसुओं से पता लगे

न कभी कोई करें बात वो
हो भी साथ में तो जुदा लगे

सुना प्यार होता है ‘अर्चना’
तो क्यों जग ही इससे खफा लगे

27-01-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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