जो इश्क मुकम्मल करते हैं
जो इश्क मुकम्मल करते हैं
वह एक तरफा भी करते हैं !
वह इश्क इश्क ही करते हैं
नहीं सौदेबाजी करते हैं ।।
अपने दिल के इन भावों को
इस कविता में हम गडते हैं !
जो इश्क मुकम्मल करते हैं
वह एक तरफा भी करते हैं।।
हो जाएं सखियां यू मंत्रमुग्ध
तुम बंसी मधुर सुना जाओ।
तुम आ जाओ प्रभु आ जाओ
अविरल इंतजार हम करते हैं।।
✍कवि दीपक सरल