जैसे चन्दन वन देखा है
निर्मल शीतल मन देखा है
जैसे चन्दन वन देखा है
दीखे तुम ही साँझ-सवेरे
मैंने जब दरपन देखा है
बंधन में पंछी ने जैसे
इक उन्मुक्त गगन देखा है
दृष्टि का विस्तार हुआ जब
अधरों पर बन्धन देखा है
सोने जैसा यौवन उसका
और चाँदी-सा मन देखा है