“जैसी माँ है वैसी हैं हम”
धरती माँ की बेटी हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
धरती का ऋंगार है हमसे,
ये सारा संसार है हमसे,
धरती की हरियाली हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
प्रेम शिखा है देश हमारा,
मानवता संदेष हमारा,
सत्य अहिंसा वादी हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
रानी लक्छमी रज़िया जोधा,
इन्दिरा शीला माया ममता,
राधा सीता कुन्ती हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
यूं न जलाओ यूं न गाड़ो,
यूं न हमको कोख़ मे मारो,
अवतारों की जननी हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
नन्ही कोपल बढ़ने दो तुम,
हमको पढ़ने लिखने दो तुम,
फिर देखो के कैसी हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
श्रृष्टि की रचना को समझो,
नारि की महिमा को समझो,
दुर्गा शेरा काली हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
हमसे ही गुलरेज़ है गुलशन,
खुशियों से ज़रखेज़ है गुलशन,
बेला चम्पा जूही हैं हम!
जैसी माँ है वैसी हैं हम!!
गुलरेज़ इलाहाबादी
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करैली
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