जुब़ान पर लगे ताले
यह कैसे संगीन दौर में
हम जी रहे हैं!
लम्हा-लम्हा घुटन का
ज़हर पी रहे हैं!
कहीं हो जाए न घर की
बात जगजाहिर
अब हुक्मरान अवाम के
होंठ सी रहे हैं!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
यह कैसे संगीन दौर में
हम जी रहे हैं!
लम्हा-लम्हा घुटन का
ज़हर पी रहे हैं!
कहीं हो जाए न घर की
बात जगजाहिर
अब हुक्मरान अवाम के
होंठ सी रहे हैं!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra