जुनून
ऊँची इमारतों को देखकर
चक्कर आना कोई
मेरी कमजोरी नहीं
बल्कि नादानी है,
क्योंकि ख्याली पुलाव
कभी पकते नहीं
और जागकर सपने
कोई देखते नहीं;
फिर भी कमबख्त
कुटिया में रहकर
महल बनाने की
जुनून हम सब में
होती है और कोई
इसे झुठला नहीं सकता ,
जैसे आकाश की
शून्यता या विशालता को
कोई झुठला नहीं सकता ।