Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jun 2024 · 1 min read

जुगनू सी ख़्वाहिश …… लघु रचना

जुगनू सी ख़्वाहिश …… लघु रचना

देर तक ठहरी रही
मेरी निग़ाह
उस मोड़ पर
शायद
तुम लौट आओ

धोखा मिला
मेरी उम्मीद को
अंधेरों में सिमट गया
वो मोड़
शायद में लिपटी उम्मीद
किर्चियों में बिखर गई
कदम आगे बढ़ गए
मगर कम्बख़्त ये निग़ाह
शायद की बुर्ज़ पर खड़ी
वहीं ठहर गई
एक जुगनू सी ख़्वाहिश के साथ
अँधेरे में

सुशील सरना

34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
गर्दिश में सितारा
गर्दिश में सितारा
Shekhar Chandra Mitra
जिंदगी
जिंदगी
Dr.Priya Soni Khare
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
अंदाज़ ऐ बयाँ
अंदाज़ ऐ बयाँ
Dr. Rajeev Jain
इश्क़
इश्क़
शिवम "सहज"
चलो चुरा लें आज फिर,
चलो चुरा लें आज फिर,
sushil sarna
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
नर नारी
नर नारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तन्हाई
तन्हाई
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
🙅उल्टी-पट्टी🙅
🙅उल्टी-पट्टी🙅
*प्रणय प्रभात*
2669.*पूर्णिका*
2669.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
हवाओं से कह दो, न तूफ़ान लाएं
हवाओं से कह दो, न तूफ़ान लाएं
Neelofar Khan
*हजारों हादसों से रोज, जो हमको बचाता है (हिंदी गजल)*
*हजारों हादसों से रोज, जो हमको बचाता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जब तात तेरा कहलाया था
जब तात तेरा कहलाया था
Akash Yadav
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
कविता-आ रहे प्रभु राम अयोध्या 🙏
Madhuri Markandy
परिदृश्य
परिदृश्य
Vivek Pandey
वेरियर एल्विन
वेरियर एल्विन
Dr. Kishan tandon kranti
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
If.. I Will Become Careless,
If.. I Will Become Careless,
Ravi Betulwala
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
यह सच है कि
यह सच है कि
gurudeenverma198
व्यवहारिकता का दौर
व्यवहारिकता का दौर
पूर्वार्थ
"" *ईश्वर* ""
सुनीलानंद महंत
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
Ajit Kumar "Karn"
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
क्या ख़ूब तरसे हैं हम उस शख्स के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
Loading...