जी को नहीं है पलभर चैना
जी को नहीं है पलभर चैना
बैरन से क्यों लागे नैना
मोहे तोरी याद सतावे
अमवा पर कूके जब मैना
मुख से अपने कुछ तो बोलो
शहद से मीठे तोरे बैना
रह न सकूँ मैं यार तिरे बिन
नींद न आवे अब दिन-रैना
देख मुझे क्यों चुप्पी ओढ़ी
प्यार तुम्हें भी बोलो है ना