*जीवन को मात है (घनाक्षरी)*
जीवन को मात है (घनाक्षरी)
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किसको है जाना कब ,किसने है जाना कब
आने और जाने का न समय ही ज्ञात है
कोई वर्षों से थक हार-हार पड़ा हुआ
मरण से चाह रहा बस मुलाकात है
कोई मिनटों में गया देखते ही रहे सब
समझ न पाए हुई कैसे यह बात है
जिसकी लिखी है जिस तरह से आता काल
उस ही तरह देता जीवन को मात है
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451