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24 May 2023 · 1 min read

जीवन का सफ़र कल़म की नोंक पर चलता है

जीवन का सफ़र कल़म की नोंक पर चलता है
कब कल़म अपवित्रता की निशानी बन जाये ।
इसे रोको बहरूपिया के नये लोकतंत्र से ।

सद्कवि प्रेमदास वसु सुरेखा

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