जीवन का जीवन पर
जीवन का जीवन पर
तेरे ये उपकार हो ।
केवल सफलता ही नहीं
हार भी स्वीकार हो ।
वाणी तेरी मीठी-मीठी
उच्य तेरे विचार हो।
मित्र बने शत्रु भी तेरे
ऐसा तेरा व्यवहार हो ।
तेरी प्रतिष्ठा तेरा गौरव
जीवन का पर्याय हो,
जाग उठे आत्मा तेरी
ऐसी एक ललकार हो ।
कर दूं तुझे आत्मा ही नहीं
हर श्वास समर्पित,
मेरा तुझपर मेरे प्रिय
इतना तो अधिकार हो ।”
डाॅ फौज़िया नसीम शाद