जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
जीने के प्रभु जी हमें, दो पूरे शत वर्ष (कुंडलिया)
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जीने के प्रभु जी हमें ,दो पूरे शत वर्ष
लेकिन देना वर्ष वह , जिसमें हो शुभ हर्ष
जिसमें हो शुभ हर्ष ,रहें हरदम मुस्काते
स्वस्थ देह के साथ ,प्रखर मेधा को पाते
कहते रवि कविराय ,दिव्य अमृत पीने के
दो रसमय शत वर्ष ,मधुर प्रभु जी जीने के
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451