जिस का पेट भरा है
खूब कहा हजरत ने, सदियों से खरा है
भूखा है वही, जिस का पेट भरा है
चाहे कहीं पे, कोई भी लड़ाई हो
मानवता के लिए मानव ही मरा है
घायल की गति तो घायल ही जाने
सावन के लिए तो सब कुछ ही हरा है
है तबाही देन सियासत की सर जी
जो हर इल्ज़ाम ग़रीबों पे धरा है
सच ही कहा कहने वाले ने यारो
कोई दुनिया में मरे बिन भी तरा है