जिसने बनाया तुझको
“”जिसने बनाया तुझको””
धड़कनों में बस गई तुम मेरी सांस की तरह,
दूर तुमसे रहना मेरे बस में नहीं रहा अब।
तेरी राह तकता था मैं किसी खत की तरह,
रख लिया है मैंने दिल की गहराइयों में तुझको।
नादान जमाने वाले क्या समझेंगे प्यार अपना,
ये इश्क नहीं इबादत है जो कर रहा हूँ तुझसे।
दी है दस्तक बहारों ने तेरे आने से जीवन में
मेरी जिंदगी संवर गई है एक निगाह से तेरी।
आता है नाम तेरा जब भी साथ नाम के मेरे
लेता है दिल हिलोरे मेरा बारिश के मोर जैसा।
अब तो जमाने वाले समझते हैँ मुझको आशिक
कहते हैं इश्क तुझको हो चला है किसी से।
बचपन का प्यार पाकर दिल हो गया दीवाना,
इस दिल की आरज़ू को करना है हमको पूरी।
निगाहों का जब भी अपनी मिलना हुआ है प्रिये
खुद ब खुद ही खुल गए हैं इश्क के राज सारे।
तेरी आंखों में है प्रिये कशिश कुछ इस तरह की,
दिल को किया है घायल जब जब मिलाई नजरें।
राह ए मोहब्बत की अब तो मिल गई मंजिल,
शुक्रिया उस खुदा का जिसने बनाया तुझको।
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट ( मध्य प्रदेश )