Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2022 · 2 min read

जिन्हे दुनिया आज भी नेताजी के नाम से जानती है

#नेताजी सुभाषचंद्र बोस
हिन्दुस्तान की आजादी के लिए न जाने कितने रणबांकुरों ने अपने प्राणों की आहूति दी लेकिन इस सभी के बीच एक ऐसी भी शख्सियत रही जो जीते जी ही किंवदंती बन गई और जिनके किस्से आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. जिनके मौत के इर्द-गिर्द उतनी ही कहानियां हैं जितनी उनके सामने होने पर थीं.
यूँ तो हमेशा से मेरा यही सोचना रहा है कि अपने देश के लिये कुछ करके हम उस पर एहसान नही करते पर कुछ न करके कृतघ्न जरूर बनते हैं। परन्तु कभी-कभी देश भी किसी को सैल्यूट करता है। कभी-कभी देश भी अपने किसी लाडले पर नाज करता है। कभी-कभी देश अपने देश होने पर गर्व करता है। सदियो मे कभी किसी ऐसी हस्ती का जन्म होता है कि स्वयं देश भी उसके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है। वो कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कृतघ्न रहकर दुनिया से नही जाना चाहते, जिनके लिये राष्ट्रवाद ही सबकुछ होता है और उसके आगे उनकी नजरों में स्वयं की जान की भी कोई कीमत नही होती। 23 जनवरी 1897, भारत के इतिहास की एक अमर तारीख है जिस दिन इस देश में एक ऐसी शख्सियत का जन्म हुआ जिसका सदियों से यह देश बेसब्री से इन्तजार कर रहा था। गुलामी का क्रूर दंश झेलते हुये हर अत्याचार पर आह निकल जाती थी और होंठ किसी देशभक्त को मदद के लिये पुकार उठते थे। आखिरकार दर्द भरी आह का उत्तर मिला, करुणा भरे चेहरे में संतोष की कुछ लकींरें नजर आयीं और देश की मिट्टी की उस दिन मुराद पूरी हुयी। महान देशभक्तों की मोतियों से बने भारत माँ के गले के हार में एक मोती और जुड़ गया और जंजीरों में जकड़े उसके शरीर के मुख से सिसकियाँ फूट पड़ीं, खुशी से अश्रु निकल पड़े और होंठ बुदबुदा उठे, ‘‘आ गया मेरा लाडला, सुभाष चन्द्र बोस!‘‘ परम् सौभाग्यशाली हैं वो लोग जिन्हे उनके सानिध्य का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जर्मनी में भारतीय सैनिकों ने उनको नेताजी कहकर पुकारा तब से आज तक हर हिन्दुस्तानी उनको अतिशय प्रेम और अतिसम्मान के साथ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कहकर सम्बोधित करता है। कुछ जादुई आकर्षण था उनकी शख्सियत में कि जो भी मिल लेता था प्रेम करनें लगता था। आज भी हम सभी सम्मोहित हैं तभी तो ‘नेताजी‘ शब्द सुनते ही हम सभी के हृदय में राष्ट्रवाद हिलोरें लेने लगता है, सिर स्वतः ही श्रद्धा से झुक जाता है और ‘‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूँगा‘‘ सुनते ही दिल, जोश, जज़्बे और जूनून से भर जाता है और देश पर मर मिटने की अदम्य इच्छा बलवति हो उठती है। उनके विचार, उनके शब्द और यहाँ तक कि उनकी वेशभूषा भी हर भारतीय को आज की जिन्दगी की तमाम् दिक्कतों और परेशानियों के बीच संघर्ष करते रहने और हार न मानते हुये अविचल और अडिग रहने की विशाल प्रेरणा से भर देती हैं।
#ravisinghbharati
#rs7632647
#रविलेख
#क्रांतिकारी
#भारतमाताकीजय
#NetajiSubhashChandraBose

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 187 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
बाँकी अछि हमर दूधक कर्ज / मातृभाषा दिवश पर हमर एक गाेट कविता
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
अंधेरों रात और चांद का दीदार
अंधेरों रात और चांद का दीदार
Charu Mitra
मधुमास
मधुमास
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
एक पल सुकुन की गहराई
एक पल सुकुन की गहराई
Pratibha Pandey
लिखने से रह गये
लिखने से रह गये
Dr fauzia Naseem shad
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कौन जिम्मेदार इन दीवार के दरारों का,
कवि दीपक बवेजा
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
*सर्दियों में एक टुकड़ा, धूप कैसे खाइए (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
उसकी जुबाँ की तरकश में है झूठ हजार
'अशांत' शेखर
मैं तो महज पहचान हूँ
मैं तो महज पहचान हूँ
VINOD CHAUHAN
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के अन्तर्विरोध
कवि रमेशराज
"In the tranquil embrace of the night,
Manisha Manjari
2443.पूर्णिका
2443.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
क्रिकेटी हार
क्रिकेटी हार
Sanjay ' शून्य'
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुर्दा समाज
मुर्दा समाज
Rekha Drolia
"ये याद रखना"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरी सारी चालाकी को अब मैंने पहचान लिया ।
तेरी सारी चालाकी को अब मैंने पहचान लिया ।
Rajesh vyas
लोकतंत्र का मंत्र
लोकतंत्र का मंत्र
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
The Moon!
The Moon!
Buddha Prakash
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
जनक दुलारी
जनक दुलारी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
दोस्त का प्यार जैसे माँ की ममता
दोस्त का प्यार जैसे माँ की ममता
प्रदीप कुमार गुप्ता
शेर
शेर
SHAMA PARVEEN
परी
परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
First impression is personality,
First impression is personality,
Mahender Singh
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
कविता ही तो परंम सत्य से, रूबरू हमें कराती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
तुम ही सौलह श्रृंगार मेरे हो.....
Neelam Sharma
"मुग़ालतों के मुकुट"
*Author प्रणय प्रभात*
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
Loading...