जिन्दगी की खामोशी टूटती है जब
जिन्दगी की खामोशी
टूटती है जब
मौत उसके दरवाजे पर
देती है दस्तक और
उसके सामने खड़ी होती है
यह होता है वह पल जब
खामोशी शोर मचाना
चाहती है
बहुत सारी बातें करना
चाहती है
कितना कुछ अनकहा
अब कहना चाहती है
पर समय रहते जो
न किया तो
अब समय और
कैसे मिले
मौत जिन्दगी को
घसीट के ले जाती है
इस बार उसे
सच में ही खामोश
करती हुई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001