जिनको जल्दी थी वे चले गए ।
रफ्ता रफ्ता घूम रही ।
यह दुनिया है सारी ।
आप हो कि कर रहे ।
दौड़ने की तैयारी ।
यातायात का न कर पालन ।
वो किधर भी सैर किए ।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वो दुनिया से चले गए ।
कहते वो हमसे ।
बढने के लिए आगे कोल्हू का बैल बनो ।
छोङो साफ सफाई मैल मे ही रहो सने ।
काम करते कपड़े तक गंदे हो गए ।
सेहत भी अपनी कुछ खराब से हो गए।
खरगोश जैसे दौङे थे ।
पर आगे जाके सो गए।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।
कितना भी कमाते हो ।
न कभी चैन फरमाते हो ।
रूमाल से पोंछ पसीना ।
आगे को बढ जाते हो ।
थका -हारा ये तन -बदन ।
इसको घिसते जाते हो ।
होकर शिकार फिर ।
रोग, शोक के बिस्तर पर फिर लेट गए।
जिनको जाने को बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।
धीरे-धीरे रे मना ।
धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घङा ।
तब फूले -फले छाव होय ।
मंद मंद से जब हवा चलती है ।
आंधी तो सदैव तबाही करती है ।
शनै -शनै ऋतु रोमांच दिखाए ।
जितनी है चादर ।
उतने ही पांव फैलाए ।
शांति से सोच समझकर ।
जो रहते है बौराए ।
जिनको जाने की बहुत जल्दी थी ।
वे दुनिया से चले गए ।
⏰⏰Rj Anand Prajapati ⏰⏰