*जिधर देखो उधर कुत्ते (हिंदी गजल/गीतिका)*
जिधर देखो उधर कुत्ते (हिंदी गजल/गीतिका)
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इधर कुत्ते उधर कुत्ते ,जिधर देखो उधर कुत्ते
सड़क पर और गलियों में, डराते हैं निडर कुत्ते
2
अकेला व्यक्ति गलियों में, घुसने से है घबराता
भ्रमण करते हैं मस्ती से, गलियों में अगर कुत्ते
3
जो मिल जाऍं गली के मोड़ पर तो कॉंपता है तन
बड़ी खूॅंखार रखते हैं, कई अपनी नजर कुत्ते
4
दाऍं को जो कुत्ता है, चलो बाईं तरफ प्यारे
अगर हैं कटखने तो, भागते हैं काटकर कुत्ते
5
लावारिस जो कुत्ते हैं, सुनिश्चित जानलेवा हैं
करे सरकार निर्भय देश, सब जेलों में धर कुत्ते
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451