जिंदगी
जिंदगी
तुम्हारे बिना जिंदगी ये अधूरी।
बहुत शून्य मैदान रातें अँधेरी ।
नहीँ पुष्प खिलता नहीं पक्षियाँ हैं।
नहीँ गीत कलरव नहीं मन प्रिया है।
अगर साथ होते बगीचा सुहाना।
दिखें फूल हँसते गगन है लुभाना।
सदा नेत्र में चांदनी की चमक है।
वदन में तुम्हारे गुलाबी गमक है।
सदा प्रेम सागर की अनुपम झलक है।
रहेंगे सदा संग अंतिम ललक है।
सदा प्यार की लालिमा है अधर पर।
सतत साथ देती हृदय की डगर पर।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी