जिंदगी तुम्हें पुकार रही है
जिंदगी तुम्हें कब से पुकार रही है
तुम ही बताओ इसे कहां जाओगे
जिस दिन किरदार में आ जाओगे
उस दिन पूरी दुनिया में छा जाओगे
तजुर्बा हारे हुए से ,अनुभव जीते का
तब अपना चाहा मुकाम पा जाओगे
खाली नहीं होगा किस्मत का पैमाना
जब मां का आशीर्वाद लेकर जाओगे
सच्चाई ईमानदारी जुनून में नहाओगे
एक दिन खुशबुओं में महक जाओगे
नेकियों से ही जीते जाते हैं हर मंजर
छुरियां चला के सिकंदर नहीं बनता
कई रास्तों पर चलकर अनुभव आया
यह अनुभव दुनिया को बता जाओगे
सब चीजें पलती है यार अपने अंदर
अपने आप से फिर तुम कहां जाओगे
इसी मिट्टी से उपजे हैं हम सभी जीव
एक दिन इस मिट्टी में ही समा जाओगे
✍️कवि दीपक सरल