” ——————————————-जाल मस्त है बुनिया ” !!
जिसको गुरु बनाओ ठग ले , लगती है ठग दुनिया !
ठगने को बेताब लगे सब , भरे पड़े हैं गुनिया !!
सरलचित्त होना कमजोरी , सम्मोहन ले डूबे !!
बाबा नेता और फरेबी , पकड़ा दे झुनझुनिया !!
रौब दाब वैभव चलता है , फिर वाणी का जलवा !
आसपास खुशबू का डेरा , जाल मस्त है बुनिया !!
जमघट लगते नेताओं के , जाल सियासी बुनते !
वोट यहां भी गये हाथ से , भक्त बने टुनटुनिया !!
लीलाओं का दौर रचाते , अपनी माया बुनते !
और यहां के इंद्रजाल में , फंस जाती हैं मुनिया !!
भक्तों की आंखों पर पट्टी , बांध रखें वे ऐसी !
कहा गुरु का लांघ सके ना , राह एसी दे चुनिया !!
नेता चुनना आसां है पर , सरल नहीं गुरु जान !
अधे कुएँ में गोते खाकर , भटक रही है दुनिया !!
बृज व्यास