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29 Mar 2023 · 1 min read

“जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।

“जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
कल ज़मीं बतलाएगी, किस-किस जगह बिखरा था मैं।।”

😊प्रणय प्रभातY😊

2 Likes · 2 Comments · 499 Views
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