“जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
“जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
कल ज़मीं बतलाएगी, किस-किस जगह बिखरा था मैं।।”
😊प्रणय प्रभातY😊
“जाने कितना कुछ सहा, यूं ही नहीं निखरा था मैं।
कल ज़मीं बतलाएगी, किस-किस जगह बिखरा था मैं।।”
😊प्रणय प्रभातY😊