जाति है कि जाती नहीं
चाहे जान चली जाए लेकिन
हर पहचान चली जाए लेकिन
हाय, जाति है कि जाती नहीं
क्यों जाति है कि जाती नहीं…
(१)
कोई बड़ा कोई छोटा कैसे
कोई खरा कोई खोटा कैसे
पूछो तुम,जरा पूछो कि क्यों
बनते सभी लोग साथी नहीं
हाय, जाति है कि जाती नहीं…
(२)
कमजोरों पर जुल्म देखकर
मुफलिसों पर जुल्म देखकर
सोचो तुम,जरा सोचो कि क्यों
फटती किसी की छाती नहीं
हाय, जाति है कि जाती नहीं…
(३)
कोई यहां कुछ भी कर ले
जितनी खूबी ख़ुद में भर ले
बोलो तुम,जरा बोलो कि क्यों
उसकी रूह तस्कीन पाती नहीं
हाय, जाति है कि जाती नहीं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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