#जागो
🙏नीतिकथा
🔥 #जागो ! 🔥
“गब्बरसिंह कहता है, आओ छमिया!”
“जी, ऐसा ही कहा था उसने।”
“अरे, कोई सभ्यता संस्कृति है कि नहीं। किसी भले घर की लड़की को ऐसे बुलाया जाता है? यदि नाम नहीं जानता तो आइए बहन जी, नहीं कह सकता।”
“जी, वो लड़की आयु में उनसे छोटी है।”
“तो क्या? आओ बहना तो कह सकता है।”
“बात तो सही है आपकी।”
“और देखो, बीरू कहता है, इन कुत्तों के सामने मत नाचना बसंती। अरे, सामने वाला चोर डाकू लुटेरा कोई भी हो, तुम तो अपनी भाषा मत बिगाड़ो।”
“सही कह रहे हैं आप।”
“कौन लिखता है ऐसी असभ्य भाषा। इसका दंड मिलना ही चाहिए। तनिक बुलाओ तो गोस्वामी तुलसीदास को।”
“जी, लेकिन यह तो श्री जावेद अख्तर जी ने लिखा है।”
“अरे भाई, जिस देश नगर गांव में ठाकुर के पूरे परिवार की हत्या कर दी गई, उसकी दोनों बांहें कंधों से काटकर अलग कर दी गईं और किसी की आँख से एक बूंद आंसू न बहा, उसी गांव नगर देश में एक अब्दुल की हत्या पर पूरा गांव गब्बरसिंह के प्राणों का शत्रु हो गया, उस गांव नगर देश में कोई कुछ भी लिखा करे, किया करे, प्रश्न तो गुसाईं जी अथवा मोदीजी ही किया जाएगा।”
“ऐसा क्यों?”
“भाई मेरे, वो पहले तुम्हें जातियों में बांटेंगे उसके पश्चात एक-एक करके काटेंगे।”
“ऐसा?”
“हाँ ऐसा, सुना नहीं उनका नीतिपत्र?”
“तब?”
“जाग सको तो जागो . . . ।”
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०१७३१२