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12 Sep 2021 · 1 min read

जागृत चेतना का कवि

मैं क्या करूं, मुझसे
गुलामी नहीं होती!
किसी तरह ज़मीर की
नीलामी नहीं होती!
जिनके हाथ रंगे हुए
ख़ून में अवाम के
उनको सिर झुका कर
सलामी नहीं होती!

Shekhar Chandra Mitra
#CommunalPolitics

Language: Hindi
199 Views
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