ज़िन्दगी के रंग
गिरते-गिरते सम्हलती रही ज़िन्दगी,
रंग हर पल बदलती रही ज़िन्दगी ,
फूलों के और कभी काँटों की राह पर ,
मौत से मिलके चलती रही ज़िन्दगी,
साथ जब तक रहा सब तले पाँव था,
साथ जब से छुटा खो गयी ज़िन्दगी,
मौत से जब भी दो चार होना पड़ा,
हाथ पे हाथ मलती रही ज़िन्दगी,
हादसों ने किया हाल वो शहर का ,
ज़िन्दगी पे तरसती रही ज़िन्दगी,
आइना जब मिला एक नई शक्ल में,
बात करते सहमती रही ज़िन्दगी,
देखकर आज फिर थोड़ा हैरान हूँ,
ज़िन्दगी में मिली एक नई ज़िन्दगी,