ज़मीर का सौदा
झूठ-मूठ का खेल-तमाशा क्यों!
आखिर इतना शोर-शराबा क्यों!!
मज़हब के नाम पर चारों तरफ
रात-दिन यह धूम-धड़ाका क्यों!!
हमारे लेखकों और पत्रकारों ने
क्या अपने आप को बेच दिया!!
मौजूदा हुक्मरानों के कांधे पर
क़ौमी ख्वाबों का जनाजा क्यों!!
Shekhar Chandra Mitra