ज़ब्त क्यों मेरा आज़माते हो
ज़ब्त क्यों मेरा आज़माते हो ।
लौट आओ कि याद आते हो ।।
फ़ासला तुमसे करके देखा है ।
आके यादों में मुस्कुराते हो ।।
लौट आओ कि याद आते हो ।
तुमको एहसास क्या नहीं होता ।
इतना मुझको जो तुम रूलाते हो ।।
दुश्मनी से ये शाद कम तो नहीं ।
दिल का रिश्ता जो तुम निभाते हो ।।
ज़ब्त क्यों मेरा आज़माते हो ।
लौट आओ कि याद आते हो ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद