ज़ईफ़ी में ग़रचे दिमाग़ी तवाज़ुन, सलामत रहे तो समझ लीजिएगा।
ज़ईफ़ी में ग़रचे दिमाग़ी तवाज़ुन, सलामत रहे तो समझ लीजिएगा।
उमर भर इबादत जो की थी मुसलसल, इबादत ही थी वो, दिखावा नहीं था।।
😊प्रणय प्रभात😊
ज़ईफ़ी में ग़रचे दिमाग़ी तवाज़ुन, सलामत रहे तो समझ लीजिएगा।
उमर भर इबादत जो की थी मुसलसल, इबादत ही थी वो, दिखावा नहीं था।।
😊प्रणय प्रभात😊