जल संचयन धरा का जीवन।
की जल जीवन जल है मिशन।
इसी से हैं धरती में घूर्णन।
रखो करके इसे संचयन।
नही तो रेगिस्तान से होगा मिलन।
नदियों का जल जल।
करें कल कल।
है मां भारती का यही आंचल।
जरा पूछो हाल उनसे।
जो जल बिन जल रहे ।
जहां के किसान की फसल।
बिना पानी के मर रहे है।
दी है भेंट जो प्रकृति हमे।
रखो उसको संभाल।
नदियों का जल जल।
करें कल कल।
भारत मां का है हरियाली आंचल।
अहिरौली कृतमलपुर ग्राम के वासी।
है हम आपसे अभिलाषी।
रहे हरी भरी धरती ये अपनी।
रहे न कोई कोना प्यासी।
करेंगे जब जल का संचयन।
रहेगा तभी धरा पर जीवन।
अतिरिक्त न जल बहाएंगे।
उसको हम संजोएंगे।
रहेगी धरती तभी हरी भरी।
होने न देंगे जब खाली पृथ्वी के जल की गगरी।
जल जीवन का यह मिशन।
जल का करे सब कंजर्वेशन।
जल न रहे मर जाए सब जल।
जल से ही सुनहरी धरती का पल।
जल को करे न कभी गंदा।
इसी से हैजा पेचिश पीलिया रोग का धंधा।
जल बिन धरती सूनी है।
जस सूना रेगिस्तान।
जो जल का न करे संचयन।
धरती बने कब्रिस्तान।
पल पल जल की सबको जरूरत।
हो सुबह शाम या कोई मुहूर्त।
जल बिना जायेंगे सब जल मर।
जल से ही है धरती अमर।
आनंद पानी भी रखिए।
औरऊ पानी दीजिए।
नेक करत चलते चलो।
ज्ञान की गंगा बहा दीजिए।