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26 Jun 2022 · 3 min read

जल जीवन – जल प्रलय

ये जल धरती पर कहां से आए ।
पहले बादल बरसे ।
या समंदर नदी में जल आए ।
जल धरती के है नीचे ।
फिर ये आसमाँ में कैसे पहुंचे ।
सोच रहा मैं आँखे मीजे ।
नदी का किनारा ।
वो वृक्ष कदम्ब ।
छाया मधुर दे ।
मिले तन को आराम ।
जल की दुनिया ।
क्या हम कहे ।
मेंढक, मछलिया ।
जोंक,शार्क ।
डाल्फिन, मगरमच्छ ।
कछुआ, आक्टोपस ।
विचरण है करते ।
समंदर में आकर सारी नदियां गिरे।
पर्वतो से झरना झरे ।
सबसे सुलभ, सस्ता व्यापार ।
जलमार्ग लाभ का द्वार ।
प्रशांत, अटलांटिक, हिन्द महासागर ।
अटलांटिक लेब्रोडोर जलधारा ।
टाइटन जहाज को ले डूबी थी सारा ।
समंदर के ही रास्ते ।
कई देशो को ढूंढा ।
वास्कोडिगामा, मैगलेन, कुक और पियरे ने नई जगह देखा ।
याद आते है आज भी वो बचपन के दिन ।
होती थी जब झमाझम बारिश ।
चमके बिजली, गरजे बादल ।
जल में भीगकर,बङा मजा आता था फिसलकर।
हम छाता लिए उङ न जाए कही तेज हवा में चलते थे सम्भलकर ।
कागज की नाव बनाकर।
आनन्दित होते थे जल में तैराकर।
धान के खेत में कटिया लगाए ।
कोई नहर में जाल बिछाए ।
चेल्हा,सिधरी,टेंगना फंसाए ।
बारिश में खाकर ।
गर्म -गर्म पकौड़े ।
अलग ही मजा था उसका ।
देखते खाते बारिश को बरसते थोङे -थोड़े ।
मेरी ये गुत्थी कौन सुलझाए ।
की जल बादल से पहले आए ।
या फिर थे पहले से धरातल में समाए ।
मरूस्थल वीरान पङा है ।
सूखे से कही -कही अकाल पङा है ।
वर्षा के जल को करे सुरक्षित ।
जल को बचाकर कल को बचाए।
नींबू, शिकंजी, आम का पन्ना ।
काला नमक डाले पीने का मन रस गन्ना ।
प्यास हो जब अति तेज लगे ।
पानी ही बुझाए सबकी उत्तेजना ।
जल को ज्यादा से ज्यादा पीए ।
सभी अपनी जिंदगी होकर खुशनुमा जीए ।
जल ले निर्मल, दिवाकर को रोज अर्घ्य चढाए ।
कर सूर्य नमस्कार हर रोगो से मुक्ति पाए ।
सर्दी में कोहरा, सुबह में ओंस ।
सब ही जल के अवयव ।
भले होकर चाहे गैस,द्रव, ठोस ।
वृक्ष को कर रोपण ।
धरती को हरा भरा सदाबहार बनाए ।
स्वच्छ वायु से फेफड़े कोहली नीरोग बनाए ।
पंचतत्व मे जल है शामिल ।
अगर एक भी तत्व काल संतुलन गङबङाया।
वो नर सीधा परलोक सिधाया ।
अति तेज बुखार मतलब अग्नि तत्व गङबङाया ।
डायरिया, उल्टी, दस्त मतलब जल का स्तर डगमगाया ।
जल को करे न दूषित ।
हो तो स्वच्छता के लिए करे सूचित ।
तभी होगा मानव संकल्प विजित।
मलेरिया, डेंगू,कालरा,पीलिया
सब दूषित जल काल कारक ।
जल ही है जीवन पर अति बाढ आपदा मौत कालर कारक ।
संतुलन सबका बना रहे ।
तभी चले जीवन का चालक ।
जल क्या है समझ गए हम ।
बस कोई वही गुत्थी सुलझा दे ।
जल से बिजली,जल से सिंचाई ।
बिना उसके कौन फसल लहराई ।
जल बचाए,खुद बचे ।
जल के इस रहस्य को समझे ।
आने वाले समय में जल को लेकर होगी जंग ।
इस विवाद को भी बूझे ।
हां नदी,सागर जल विवाद ।
दो राज्य, राष्ट्र के बीच ।
आपने भी होंगे सूने ।
झील, घाटी,डेल्टा का भी करते है जिक्र ।
सभी ही तो जल के चक्र ।

Language: Hindi
391 Views
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